चने की खेती Chane ki kheti - चने की उन्नत खेती व उत्पादन तकनीक,चने की आधुनिक खेती कैसे करें पूरी जानकारी हिंदी में,Bengal gram,Chick pea, farming in hindi

चने की खेती Chane ki kheti - चने की उन्नत खेती व उत्पादन तकनीक,चने  की आधुनिक खेती कैसे करें पूरी जानकारी हिंदी में,Bengal gram,Chick pea...


चने की खेती Chane ki kheti - चने की उन्नत खेती व उत्पादन तकनीक,चने  की आधुनिक खेती कैसे करें पूरी जानकारी हिंदी में,Bengal gram,Chick pea,farming in hindi

चने की खेती
वानस्पतिक नाम : Cicer Arietinum साईंसर एराटिनम
कुल : Leguminaceae लेग्यूमिनेसी
गुणसूत्रों की संख्या : 16
चने का उद्भव स्थान : वैज्ञानिक डी० कंडोल(1884) के अनुसार चने का ज्म्स्थान भारत है | कुछ वैज्ञानिक चने का उद्भव स्थान दक्षिण पूर्व एशिया व दक्षिणी पूर्वी यूरोप मानते हैं |
चने में खटास का कारण :
चने में खटास मैलिक तथा ऑक्जेलिक अम्ल के कारण होती है |
चने का वर्गीकरण :
चने को CHICK PEA BENGAL GRAM के नाम से भी जाना जाता है | इसकी दो जातियां हैं –
साइसर एरिटिनम : इसके दाने छोटे व पीले कत्थई रंग के होते हैं,इसे देशी चना के नाम से जाना जाता है |
साइसर काबुलियम : इसके दाने बड़े सफेदी लिए हल्के पीले रंग के होते हैं इसे काबुली चना के नाम से जाना जाता है | इसमें गुणसूत्रों की संख्या 14n होती है |
पोषक तत्व व उपयोग : चने में प्रोटीन 11 कार्बोहाइड्रेट 61.5 आयरन 7.2 कैल्सियम 149 फैट 4.5 प्रतिशत पाया जाता है | चने का उपयोग सब्जी व दाल तथा मिष्ठान बनाने में किया जाता है | चने की दाल को पीसकर अनेक प्रकार के भारतीय व्यंजन बनाये जाते हैं | छोले चने की सब्जी उत्तर भारत में बहुत प्रसिद्ध है |
चने की उन्नत किस्में :
हरा छोला न० 1,गौरव ( एच 75-35 ), राधे, चफा, के० 4, के० 408, के० 850, अतुल (पूसा 413), अजय (पूसा 408), अमर (203), गिरनार,
जलवायु व तापमान :
चना ठन्डे व शुष्क मौसम की फसल है | चने के अंकुरण के लिए उच्च तापमान की जरुरत होती है | इसके पौधे के विकास के लिए अत्यधिक कम व मध्यम वर्षा वाले अथवा 65 से 95 सेंटीमीटर वर्षा वाले क्षेत्र उपयुक्त हैं |
भूमि का चयन :
चने की फसल के लिए उचित जल निकास वाली समतल दोमट भूमि उपयुक्त होती है | चने की फसल बलुई दोमट,मटियार दोमट व काली मिटटी में सफतापूर्वक की जाती है | इसके पौधों की विकास के लिए भूमि का पीएच 6.5 से 7.5 तक होना चाहिए |
भूमि की तैयारी :
किसान भाई भूमि पलटने वाले हल से 1 जुताई के बाद 2-3 जुताइयाँ देशी हल अथवा कल्टीवेटर से करें | हर जुताई के बाद पाटा चलाकर भूमि को ढेले रहित बनाकर समतल बना लेना चाहिए |
बुवाई का समय :
मैदानी क्षेत्रों में – 15 अक्टूबर से नवम्बर का प्रथम सप्ताह तक
तराई क्षेत्रों में – 15 नवम्बर से पूरे माह तक
बीज की मात्रा :
देशी चने की किस्मों के लिए – 70-80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
 काबुली चने की जातियों के लिए _ 100-125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
देर से बुवाई करने पर – 90-100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
चने के बीज को उपचारित करना :
चने की फसल पर फंफूदजनित रोगों से बचाव हेतु थायरम व केप्टान की 0.25 यानीं 100 किलोग्राम बीज की मात्रा में 250 ग्राम दवा मिलाकर उपचारित कर लेना चाहिए |बीज में जल्द अंकुरण के लिए राइजोबियम कल्चर से उपचारित करना चाहिए |
अंतरण :
 चने की बुवाई पौध से पौध की दूरी 30 से 45 सेंटीमीटर रखने पर अच्छी उपज मिलती है |
चने की बुवाई की विधि :
चने की छोटे क्षेत्र के लिए डिबलर की सहायता से किसान भाई कर सकते हैं | डिबलर के द्वारा बने निशानों पर बीज को 6 से 8 सेंटीमीटर की गहराई पर बोयें | अधिक क्षेत्र में बुवाई के लिए सीडड्रिल अथवा देशी हल से कूंड में किसान भाई बुवाई करें | अच्छा तो यह हो की बीज फर्टीसीड ड्रिल की सहायता से बुवाई हो जिससे बीजों को उर्वरक भी आसानी से मिल सके | किसान भाई चने की खेती छिटकवां विधि से करते हैं |

खाद व उर्वरक :
चने के पौधे में राईजोबियम नामक बैक्टीरिया होता है जो वायुमंडल से नाइट्रोजन ग्रहण करता है | चने में अंकुरण के बाद जीवाणुओं की ग्रंथियां बनने में 25-30 दिन लग जाते हैं ऐसे में नाइट्रोजन की 15 से 20 किलोग्राम व 40 से 50 फॉस्फोरस तथा 40 से 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर देना चाहिए |
सिचाई व जल निकास प्रबन्धन :
चने की फसल से अधिकतम लाभ लेने के लिए भूमि का जल प्रबन्ध दुरुस्त होना चाहिए | अधिक नमी होने पर पौधे वानस्पतिक वृद्धि तो खूब होती है किन्तु फल – फूल कम लगते हैं | चने की फसल पर बुवाई से 40 से 45 दिन बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए | दूसरी सिंचाई चने में फूल आने के समय बुआई के 55-60 दिन बाद किसान भाई करें | और तीसरी और आखिरी सिंचाई बुवाई के 80 से 90 दिन बाद करनी चाहिए |
निराई गुड़ाई व खरपतवार नियंत्रण :
चने के पौधे बुवाई के महीने भर में जमीन में फ़ैल जाते हैं इसलिए इसकी फसल को निराई गुड़ाई की जरुरत नही होती | बुवाई के माह भर बाद खरपतवार उग आते हैं जिससे उनके नियंत्रण की आवश्यता होती हैं | चने की फसल पर हिरनखुरी,जंगली प्याजी,दूब,आदि खरपतवारों का प्रकोप होता है | खरपतवार नियंत्रण हेतु बुवाई से पूर्व भूमि की तैयारी के समय मिटटी में फ्लूक्लोरेलिन (बेसालिन ) की 1 किलोग्राम मात्रा को 800-1000 लीटर पानी में घोलकर खेत में छिड़काव कर मिटटी में मिला देना चाहिए |
बुवाई के 30 से 40 दिन बाद प्रति हेक्टेयर 2.4 डीबी अथवा एमसीबीपी शुद्ध रासायनिक पदार्थ की 0.75 किलोग्राम मात्रा को 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर्णं चाहिए |  इसके बावजूद भी खरपतवार उग आते हैं तो निराई कर नष्ट कर देना चाहिए |
Oxidiazen ऑक्जीडायजेन की 0.75 किलोग्राम मात्रा का बुवाई के समय ही छिड़काव कर मिटटी में मिला देना चहिये | अथवा चने की खेती में खरपतवार नियंत्रण के लिए Tribunil 2.5 KG प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के समय मिटटी में छिड़काव करके मिला देना चाहिए |+ 
चने की फसल पर लगने वाले रोग व नियंत्रण:
उकठा रोग :
यह एक फफूंदजनित रोग है | चने में उकठा रोग फ्यूजेरियम अर्थोसोरैस नामक कवक के द्वारा होता है | इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों की बढवार रुक जाती हैं | पत्तियों का रंग पीला पद जाता है | तना काला पद जाता है | यह रोग चने के उत्पादन पर बुरा असर डालता है |
बचाव व रोकथाम :
चने के खेत से प्रभावित पौधे को उखाड़कर जला देना चाहिए | जिससे अन्य पौधों पर इसका संक्रमण न हो | उकठा प्रतिरोधी किस्में जैसे अवरोधी,बी०जी०244, बी०जी० 266, ICCC 32, CG 588,GNG 146, इत्यादि उगानी चाहिए | उकठा प्रभावित खेत में तीन साल तक चने की खेती नही करनी चाहिए | बीजों को बुवाई से पहले थायरम अथवा केप्टान से उपचारित कर लेना चाहिए | चने की बुवाई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में ही करें |
चने की रस्ट अथवा गेरुई :
यह कवकजनित रोग है | जो Uromyces Cicerisarietira नामक कवक द्वारा होता है | इस रोग का प्रकोप उत्तर भारत के मैदानी भागों में जैसे उत्तर प्रदेश,पंजाब,राज्यों में होता है | रोग के भयंकर प्रकोप होने पर रोगी पत्ते मुड़कर सूखने लगते हैं |
बचाव व रोकथाम :
चने के खेत से प्रभावित पौधे को उखाड़कर जला देना चाहिए | जिससे अन्य पौधों पर इसका संक्रमण न हो | बीजों को बुवाई से पहले थायरम अथवा केप्टान से उपचारित कर लेना चाहिए | अथवा डायथेन एम् 45 की 0.2 प्रतिशत मात्रा को बुवाई के 10 दिन बाद छिडकाव करना चाहिए |
चने का ग्रे मोल्ड रोग :
यह एक फफूंदी जनित रोग है | जो Botrytiscinerea नामक कवक के कारण होता है | यह चने के खेत में उत्तरजीवी के रूप में रहता है | इस रोग से चने की उपज व दानों की गुणवत्ता दोनों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है |
बचाव व रोकथाम –
चने के खेत से प्रभावित पौधे को उखाड़कर जला देना चाहिए | जिससे अन्य पौधों पर इसका संक्रमण न हो | बीजों को बुवाई से पहले थायरम अथवा केप्टान से उपचारित कर लेना चाहिए | चने की बुवाई नवम्बर के पप्रथम सप्ताह में करना चाहिए |
चने का अंगमारी रोग ;
यह एक फंफूदजनित रोग है जो Ascochyta Rabi  एस्कोकाईतो रेबीआई नामक कवक से फैलता है | इसका प्रकोप उत्तर – पश्चिमी भारत में बोये गये चने की फसल पर पड़ता है | इस रोग से प्रभावित पौधे की तने,पत्तियों व फलों पर छोटे-छोटे कत्थई धब्बे पड़ जाते हैं | पौधे पीले पड़कर सूख जाते हैं |
बचाव व रोकथाम :
 चने के खेत से प्रभावित पौधे को उखाड़कर जला देना चाहिए | जिससे अन्य पौधों पर इसका संक्रमण न हो | बीजों को बुवाई से पहले थायरम अथवा केप्टान 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर लेना चाहिए | चने की अंगमारी प्रतिरोधी किस्म C 235 उगाना चाहिए |
चने की फसल पर लगने वाले कीट व उनकी रोकथाम :
चने की फसल पर कुतरा,गुझिया बीविल,फलीवेधक,कैटरपिलर तथा कटुवा कीट का प्रकोप होता है |
चने का कटुवा कीट :
यह कीट भूमि अन्दर ढेलों में रहकर रात को निकलता है और पौधों को जड़ के ऊपर से काट देता है जिससे मर जाते हैं | इस कीट के सूंडी का प्रकोप चने पर होता है |
बचाव व रोकथाम :
इस कीट से बचाव के लिए 5 प्रतिशत एल्ड्रिन अथवा हेप्टाक्लोर की 20-25 किलोग्राम मात्रा को बुवाई से पहले मिटटी में मिला देना चाहिए |
चने का फलीवेधक कीट :
इस कीट का प्रकोप चने में दाना बनते समय होता है | इस कीट की सूंडी फसल को बहुत नुकसान पहुचाती है |
बचाव व रोकथाम :
इस कीट से रोकथाम के लिए इंडोसल्फान 35 EC  रसायन की 1.25 मात्रा को 1000 लीटर में मिलाकर प्रति हेक्टेयर में छिड़काव करना चाहिए |
चने की कटाई : 
चने की पैदावार उपज :

नाम

Agri Calender,14,Agri schemes and govt order,30,Agricultural machinery,5,Agriculture,6,Animal Husbandry,20,April,1,August,1,Bihar,3,Bio fertlizers,5,Career,4,Cereal crops,7,Contact,4,Cow farming,2,Crops,8,Crops and vegetables,18,December,1,Disease control,4,February,1,Fisheries,13,Gardening,8,Goat farming,2,Govt. schemes,1,Herbal farming,2,Himachal pradesh,3,Horticulture,7,Horticulture and kitchen gardening,6,Irrigation and water management,1,January,1,July,1,June,1,kharif crops,7,Kheti kisani,2,Kheti Kisani News,1,Legume crops,3,Madhya pradesh,15,Manures and fertilizers,14,March,1,May,1,Medicinal farming,4,Mix farming,22,November,1,Nutrient management,12,October,1,Oils crops,1,Organic farming,23,Pest control,14,Piggery,5,Plant protection,4,Poultry farming,4,Rabi crops,4,Seed management,1,September,1,Sericulture,1,Soil management,7,Spices farming,1,Vegetable,1,Vegetables,9,Veterinary medicine,1,Weed control,3,
ltr
item
खेती किसानी समाचार ◊ Latest Kheti Kisani News in Hindi । Agriculture News in Hindi: चने की खेती Chane ki kheti - चने की उन्नत खेती व उत्पादन तकनीक,चने की आधुनिक खेती कैसे करें पूरी जानकारी हिंदी में,Bengal gram,Chick pea, farming in hindi
चने की खेती Chane ki kheti - चने की उन्नत खेती व उत्पादन तकनीक,चने की आधुनिक खेती कैसे करें पूरी जानकारी हिंदी में,Bengal gram,Chick pea, farming in hindi
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiqxWMu-w8Fo3eqd83j0IlPElExvA1ZQYulmCCUVvkoy_Pd1jVhV72qr9Col0P0kioTP7TTz219GQLFKhFHletSvDfTB0Baz2krdy_yVw6hxidAUsgY9d4gPnnKjdUi1fC4PXBCkNPWD0dI/s640/images.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiqxWMu-w8Fo3eqd83j0IlPElExvA1ZQYulmCCUVvkoy_Pd1jVhV72qr9Col0P0kioTP7TTz219GQLFKhFHletSvDfTB0Baz2krdy_yVw6hxidAUsgY9d4gPnnKjdUi1fC4PXBCkNPWD0dI/s72-c/images.jpg
खेती किसानी समाचार ◊ Latest Kheti Kisani News in Hindi । Agriculture News in Hindi
https://www.khetikisani.org/2018/06/chane-ki-kheti-bengal-gram-chick-pea-farming-in-hindi.html
https://www.khetikisani.org/
https://www.khetikisani.org/
https://www.khetikisani.org/2018/06/chane-ki-kheti-bengal-gram-chick-pea-farming-in-hindi.html
true
4442013960455997354
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content