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मशरूम की खेती : मशरूम की उन्नत खेती कैसे करें (mushroom ki kheti kaise kare in hindi) वैज्ञानिक तरीके से मशरूम की खेती कैसे करें हिंदी में पूरी जानकारी
वानस्पतिक नाम : n/a
गुणसूत्रों की संख्या : n/a
कुल : n/a
उद्भव स्थान : n/a
विवरण व महत्त्व : मशरूम को ईश्वर का भोजन कहा जाता है | यह एक अति स्वादिष्ट
एवं पौष्टिक पोषक तत्वों से भरपूर सब्जी है | इसे शाकाहारी मीट के नाम से भी लोग
जानते हैं | इसमें प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है वसा तथा कार्बोहाइड्रेट
की न्यूनता के कारण यह डायबिटीज तथा हृदय रोगियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है
| हेल्थ कांसेस लोग जो अपना वजन घटाना चाहते हैं उनके लिए भी मशरूम एक एक आदर्श
आहार है |
पोषक तत्व : 100 ग्राम में
मशरूम में पोषक तत्व –
प्रोटीन- 3.1 ग्राम,
कार्बोहाइड्रेट- 4.3 ग्राम, वसा-0.8 ग्राम, लोहा-1.5 मिलीग्राम,कैल्सियम-6.0
मिलीग्राम, फॉस्फोरस-110 मिलीग्राम,खनिज लवण-1.4 ग्राम,कैलोरी-43k,
मशरूम की किस्में :
किसी भी फसल का उत्पादन उस
देश के जलवायु के आधार पर किया जाता है | जलवायु के अनुसार देश में मशरूम की निम्न
किस्में सफलतापूर्वक उगाई जाती हैं :-
श्वेत बटन मशरूम या फील्ड
मशरूम (Agaricus bisporus) इसे बटन मशरूम के नाम से भी जाना जाता है | यह देश में उगाई
जाने वाली पोपुलर किस्म है | यह 80-90% humidity व 15-25० C तापमान पर उगाया जा
सकता है | इसकी नवीन किस्में एस 11 व एस 22 विकसित की गयी हैं |
धान पुवाल खुम्बी या पैडी
स्ट्रा मशरूम (Volvariella
volvacea) यह गर्मी के उगाई जाने वाली मशरूम है | यह 80-90% humidity व 35-38० C तापमान
पर उगाया जा सकता है | इस मशरूम को घर के बाहर व घर के अन्दर दोनों स्थानों पर
सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है |
धीगरी मशरूम या धीगरी
खुम्बी (Pleurotus spp.) – यह भारत के दक्षिण भारत व
समुद्र तटीय इलाकों के उगाई जाने वाली उपयुक्त मशरूम है | भारत के उत्तरी मैदानी
भागों में अक्टूबर –अप्रैल तक उगाया जा सकता है | स्वाद व सुगंध पोषक तत्वों से
भरपूर धीगरी मशरूम 20-28० C तापमान व 80-85 प्रतिशत सापेक्षित humidity पर उगाया
जा सकता है | यह मोटापे मधुमेह व हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए आदर्श आहार है |
इसलिए बाजार में इस मशरूम की सबसे अधिक डिमांड रहती है |
इसके अतिरिक्त आयेस्टर
मशरूम,जायंट पकवाल,कैटरली,ट्रमोरल आदि किस्में हैं |
जलवायु व तापमान
मशरूम की खेती के लिए विशेष
तापमान,सापेक्षित humidity व खुली हवा की आवश्यकता होती है | बटन मशरूम की खेती 15-25०
C पर आसानी से की जाती है |
बुवाई का समय : भारत के उत्तरी मैदानी भागों में अक्टूबर – अप्रैल तक उगाया
जा सकता है |
भूमि का चयन :
मशरूम की खेती के लिए भूमि
की आवश्यकता नही पड़ती है | इसीलिए इसकी खेती को भूमि बचत अथवा भूमि रहित खेती भी
कहते हैं | इसकी खेती साधारण कमरों बरामदा,ग्रीन हाउस,तथा गैराज आदि में कर सकते
हैं | मशरूम की खेती विशेष प्रकार से निर्मित मशरूम उत्पादन कक्ष में करना उत्तम
रहता है | व्यवसायिक उदेश्य से मशरूम की खेती वातानुकूलित उत्पादन गृहों में मशरूम
की खेती की जाती है | उत्तर के मैदानी भागों में मशरूम की व्यवसायिक खेती ऐसे ही
की जाती है |
मशरूम की खेती के लिए
कम्पोस्ट तैयार करना :
मशरूम के लिये तैयार किया
जाने वाला मशरूम किसान भाई बड़ी आसानी से 1 माह माह में तैयार कर सकते हैं | इसके
लिए किसी विशेष यंत्र की आवश्यकता नहीं होती | इसके लिए खुली हवादार पक्का फर्श का
उपयोग कर सकते हैं | अगर आप बंद वरामदा अथवा का कमरें में कम्पोस्ट बनाने की सोंच
रहे हैं तो ध्यान रखें कि कमरे में पर्याप्त हवा का संचार हो,उपयोग में लाया जाने
वाला भूसा साल भर से अधिक पुराना न हो | भूसा अधिकतम 4 सेंटीमीटर से अधिक लम्बा
नहीं होना चाहिए |
मशरूम बनाने के लिए आवश्यक
सामग्री –
·
गेंहू का भूसा अथवा धान का
पुवाल : 300-400 किलोग्राम
·
सरसों का भूसा – 300
किलोग्राम
·
गेंहू का चोकर,व लकड़ी का
बुरादा – 30 किलोग्राम
·
मुर्गी की खाद – 60
किलोग्राम
·
शीरा – 5 लीटर
·
जिप्सम – 30 किलोग्राम
·
फ्यूराडान अथवा निमेगान –
30 किलोग्राम
·
सुपर् फोस्फेट – 1
किलोग्राम
·
यूरिया – 4 किलोग्राम
·
अमोनियम सल्फेट अथवा
कैल्सियम अमोनियम नाइट्रेट – 9 किलोग्राम
·
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश या
पोटेशियम सल्फेट – 3 किलोग्राम
·
बेंजीन हेक्साक्लोराइड BHC 10% - 250 ग्राम
·
जिंक सल्फेट – 100 ग्राम
कम्पोस्ट बनाने के लिए
गेंहू,धान व सरसों के भूसे का प्रयोग किया जाता है | गेंहू का चमकीला भीगा व बिना
भीगा भूसा 48 घंटे के लिए किसी पक्के फर्श अथवा साफ़ कच्ची जगह पर 30 सेंटीमीटर
ऊंची तह बिछाकर रख देते हैं | और पानी से भिगो देते हैं | गीले भूसे में सरसों का
भूसा, व लकड़ी का बुरादा, मुर्गी की खाद – 60 किलोग्राम,सुपर फोस्फेट, अमोनियम
सल्फेट अथवा कैल्सियम अमोनियम नाइट्रेट, बेंजीन हेक्साक्लोराइड, जिंक सल्फेट,आदि
निर्धारित मात्रा में मिलाकर 150 सेंटीमीटर चौड़ाई का एक चट्टा बना देते हैं | इस
मिश्रण का तापमान दो दिनों में 70-75०C हो जाता है |मिश्रण के अच्छे सडन के लिए
इसकी पलटाई कम्पोस्ट मिश्रण बनाने के 6 दिन बाद की जाती है | इस पलटाई के तीसरे
दिन म्यूरेट ऑफ़ पोटाश या पोटेशियम सल्फेट, यूरिया, गेंहू का चोकर, मिलकर फिर से
ढेर बना देते हैं | अब कम्पोस्ट मिश्रण बनाने के 10 दिन इसकी दूसरी पलटाई करते हैं
| ढेर को बाहर से 30 सेंटीमीटर के पांच भागों में काटकर पांच ढेर बनाकर पानी छिडक
दें | अब शीरा में 10 लीटर पानी मिलाकर मिश्रण में मिला दें | 13 वें दिन भी इसी
तरह पलटाई करते हैं | 28 दिन बाद कम्पोस्ट बिजाई के लिए बिलकुल तैयार हो जाती है |
याद रहे तैयार कम्पोस्ट में 66.70% नमी व पीएच 7.5 होना चाहिए |
मशरूम अथवा स्पान की मात्रा
: 100 किलोग्राम तैयार कम्पोस्ट के लिए 500 ग्राम
पर्याप्त होता है |
मशरूम की बुवाई अथवा बिजाई
(स्पानिंग) : मशरूम अथवा खुम्ब के बीज को स्पान कहा जाता है | 1 कुतल अथवा 100
किलोग्राम मशरूम के लिये तैयार कम्पोस्ट में बिजाई के लिए 500 ग्राम स्पान
पर्याप्त होता है याद रहे स्पान एक माह से अधिक पुराना न हो |
प्रथम विधि - बीजों को कम्पोस्ट के ऊपर बिखेर दें | इसके बाद 2.3
सेंटीमीटर कम्पोस्ट की परत चढ़ा देते हैं |
दूसरी विधि – पेटी में कम्पोस्ट की 3 इंच तह बिछाने के बाद उस पर 250
ग्राम बीज की मात्रा बिखेर देते हैं | अब उस पर पुन: 3 सेंटीमीटर कम्पोस्ट की मोती
परत चढ़ा दें | बाकि बचे बीजों को ऊपर से पुन: बिखेर दें |
मशरूम की फसल की देखभाल :
मशरूम की बुवाई के बाद पेटी या थैलियों को
खुम्बी उत्पादन कक्ष में रखकर उसके ऊपर अखबार बिछाकर ऊपर से पानी छिडककर गीला करें
ताकि पर्याप्त नमी बने रहे | इस दौरान खुम्बी उत्पादन कक्ष का तापमान 22-26०C तथा
आपेक्षित नमी 80-85 % होनी चाहिए | 15-20 दिनों में खुम्बी का कवकजाल पूरी तरह
कम्पोस्ट में फ़ैल जाता है | इस कारण कमरे को बंद रखें |
मशरूम पर केसिंग करना :
कम्पोस्ट में जब मशरूम का
कवकजाल पूरी तरह से तैयार हो जाये तो उसमें गोबर की सड़ी खाद व बाग़ की खाद को
मिलाकर तैयार खाद की 4 से 5 सेंटीमीटर मोटी परत चढ़ा दें | रोग रहित बनाने के लिए
फार्मोलिन (5 प्रतिशत ) अथवा भाप कर उपचारित करें | केसिंग के 5 से 6 दिन तक कमरे
का तापमान 14 से 18०C रखें | तापमान कम करने के लिए कमरे के रोशनदान व खिड़की खोल
दें |
मशरूम पर लगने वाले कीट व
उनका नियंत्रण :
सूत्र कृमि – इस के कृमि मशरूम के कवकजाल को खाते हैं | जिसके जाल फ़ैल
नही पाता और धीरे-धीरे लुप्त हो जाता है |
बचाव रोकथाम : मशरूम उत्पादन क्षेत्र की पर्याप्त साफ़ सफाई करनी चाहिए |
खुम्ब की मक्खियाँ – फोरिडसिसिड व सायरिड मक्खियाँ मशरूम के टोपी में छिद्र कर
देती है जिससे खुम्बी के गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है |
बचाव व रोकथाम – इस मक्खियों के रोकथाम हेतु मैलाथियान अथवा न्यूवान 500
मिलीलीटर मात्रा को 1000 मिलीलीटर पानी में मिलाकर 3 से 4 दिन के अंतर पर छिड़काव
करें |
माईट – ये माईट खुम्बी के कवकजाल को खाकर मशरूम के डंडी व टोपी
में छेद करती है | यह मशरूम की फसल को बहुत हानि पहुचाती है |
बचाव व रोकथाम – माईट से रोकथाम हेतु 1-2 मिलीलीटर दवा को 10 लीटर पानी में
घोलकर मशरूम कम्पोस्ट तथा कमरे की दीवारों पर छिडकाव करना चाहिए |
स्प्रिंगटेल – ये कीट मशरूम के छोटे-छोटे कवकजालों तथा फलों को खाते हैं
|
बचाव का रोकथाम – इस कीट से मशरूम की रोकथाम हेतु मैलाथियान अथवा न्यूवान
500 मिलीलीटर मात्रा को 1000 मिलीलीटर पानी में मिलाकर 3 से 4 दिन के अंतर पर कम्पोस्ट
व दीवारों पर छिड़काव करें |
मशरूम पर लहने वाले रोग व
रोकथाम :
ड्राई बबल : सफेदी व स्लेटी रंग का यह कवक केसिंग को ढक लेता है जिससे
खुम्ब की वृद्धि रुक जाती है |
बचाव व रोकथाम – इस कवक की रोकथाम के लिये मशरूम उत्पादन कक्ष में इंडोफिल
एम 45 की 2 ग्राम दवा को 1 लीटर पानी में मिलकर छिड़काव करें |
काब वैब : इस बीमारी के प्रकोप के कारण मशरूम के ऊपर भूरे रंग के
धब्बे पड़ जाते हैं | धीरे-धीरे ये धब्बे सिकुड़ने लगते हैं और मशरूम का तना फट जाता
है |
बचाव व रोकथाम – इस कवक की रोकथाम के लिये मशरूम उत्पादन कक्ष में इंडोफिल
एम 45 की 2 ग्राम दवा को 1 लीटर पानी में मिलकर छिड़काव करें |
प्रतिस्पर्धी कवकों की
रोकथाम : मशरूम में इन रोगों के
अलावा प्रतिस्पर्धी कवकों का जैसे ब्राउन प्लास्टर व इन्फिकैप का प्रकोप होता है |
इसने बचाव हेतु फार्मेलिन 2 प्रतिशत घोल का किसान भाई छिडकाव करें |
मशरूम की तुड़ाई :
मशरूम स्पान के कम्पोस्ट
में बिजाई के 35-40 दिन बाद या कम्पोस्ट में परत चढाने के 15-20 दिन बाद मशरूम
दिखने लगते हैं टोपी कसी व झिल्ली साबुत रहे इसके लिए खुम्बी को उँगलियों से हल्का
का दबाकर घुमाकर तोड़ते हैं इसे सतह से चाकू की सहायता से भी काट सकते हैं | मशरूम
के फसल जीवन काल यानी 6 से 8 सप्ताह के अंतराल पर 5 से 6 बार फल मशरूम के फल आते
हैं |
मशरूम की उपज :
8 से 10 किलोग्राम प्रति
वर्ग मीटर लगभग उपज प्राप्त हो जाती है | सामान्यत : 100 किलोग्राम कम्पोस्ट से
10-14 किलोग्राम मशरूम प्राप्त हो जाती है |
मशरूम का भंडारण :
मशरूम को तोड़कर साफ़ पानी से
धोएं उसके बाद खुम्बी को आधे घंटे के लिए ठंडे पानी में भिगो कर रख दें | मशरूम को
ताजा ही प्रयोग करना अच्छा होता है फिर भी 5०C तापमान पर रेफ्रीजरेटर में 4 से 5
दिन के लिए भंडारित कर सकते हैं |