ब्रायलर पोल्ट्री फार्म बिजनेस गाइड | How to Start Broiler Poultry Farm Business

ब्रायलर पोल्ट्री फार्म बिजनेस गाइड | How to Start Broiler Poultry Farm Business, ब्रायलर पोल्ट्री फार्म क्या हैं? What is Broiler Poultry Farm

मुर्गीपालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसको कम लागत में शुरू करके हर महीने हजारों रुपए कमाए जा सकते हैं। अगर कोई किसान 500 मुर्गी से इस व्यवसाय को शुरू करता है तो एक महीने में 10 से 12 हजार रुपए की अतिरिक्त आय कमा सकता है। इस व्यवसाय में पशुपालक को बहुत ज्यादा पैसे की जरूरत नहीं होती है। अगर कोई व्यक्ति इस व्यवसाय को शुरू करना चाहता है तो वह 500 ब्रायलर मुर्गियों से शुरुआत कर सकता है। पुराने दौर में मुर्गे लड़ाए जाते थे, लोग खूब मजे लेते थे और मुर्गे लहूलुहान हो जाते थे। बाजी लगा करती थी, हारने वाला मुर्गा अक्सर कटकर कड़ाही में पककर थाली में सज जाता था। नए जमाने में मुर्गे मजेदार नहीं रहे। ब्रायलर के दौर में देशी मुर्गो को कौन पूछे। मुर्गो की लड़ाई तो दूर सुबह-सबेरे उनकी बाग तक सुनाई नहीं पड़ती। कारण देशी मुर्गे पर ब्रायलर मुर्गा हावी हो गया है। देशी मुर्गे की तरह वह एक साल में नहीं महज 24 दिन में ही तैयार हो जाता है।
पुराने समय से ग्रामीण इलाकों में मुर्गियों को पाला जाता रहा है लेकिन आज के समय मे मुर्गी पालन एक बड़े व्यवसाय के रुप में उभर रहा हैं । जिसमें किसान खेती के साथ अतिरिक्त आय के लिए यह व्यवसाय कर सकता हैं. आइए जानते हैं Broiler Poultry Farm (ब्रायलर मुर्गी पालन) के बारे में-
मुर्गीपालन दो प्रकार के होते हैं -
ब्रायलर मुर्गी पालन -मांस के लिए किया जाता है ।
लेयर मुर्गी पालन -अंडे के लिए किया जाता है ।

ब्रायलर पोल्ट्री फार्म बिजनेस गाइड | How to Start Broiler Poultry Farm Business

ब्रायलर पोल्ट्री फार्म क्या हैं? What is Broiler Poultry Farm in Hindi?

भारत में पोल्ट्री फार्मिंग में ब्रायलर चिकन सबसे लोकप्रिय पक्षी है, इन मुर्गियों का पालन माँस उत्पादन के लिए किया जाता हैं । ब्रायलर छोटी मुर्गीयां होती हैं जो 5 से 6 सप्ताह की होती हैं । ब्रायलर प्रजाति के मुर्गा या मुर्गी अंडे से निकलने के बाद 40 से 50 ग्राम के ग्राम के होते हैं जो सही प्रकार से दाना- दवा खिलाने और सही रख-रखाव के बाद के बाद 6 हफ्ते में लगभग 1.5 किलो से 2 किलो के हो जाते हैं । आज ब्रायलर पोल्ट्री फार्मिंग एक सुविकसित व्यवसाय के रूप में उभर चूका है. ब्रायलर मुर्गी पालन कम समय में अधिक से अधिक पैसे कमाने का व्यवसाय है, इसे छोटे किसान भी छोटे गाँव में कर सकते हैं. ब्रायलर पोल्ट्री फार्म के लिए बहुत कम निवेश की आवश्यकता होती है क्योंकि उन्हें छह सप्ताह के भीतर विकसित कर बेचा जा सकता है ।

ब्रायलर पोल्ट्री फार्म बिजनेस के अंतर्गत ब्रायलर मुर्गी पालन | Poultry Farm Business in Hindi

ब्रायलर मुर्गी पालन करने के लिए पहले इसे छोटे स्तर के रूप शुरू करें। फिर बाद में बड़े पोल्ट्री फार्म में विकसित करें। चूजे हमेशा विश्वसनीय और प्रमाणित हेचरी से ही लें। हमेशा उच्चतम गुणवत्ता वाले और अच्छी कंपनी की दवा और टीका का प्रयोग करें। ब्रायलर मुर्गी पालन में Bio-security (जैविक सुरक्षा के नियम) का पालन करें।

मुर्गी पालन के लिए जगह का चुनाव करना -

मुर्गी पालन के लिए सही जगह का चुनाव करना आवश्यक हैं । जगह समतल हो और कुछ ऊंचाई पर हो, जिससे की बारिश का पानी फार्म में न जा सके.
मुर्गी पालन की जगह आवासीय क्षेत्र व मुख्य सड़क से दूर होनी चाहिए । मुख्य सड़क से बहुत अधिक दूर भी न हो जिससे की आने जाने मे परेशानी ना हो । बिजली व पानी की उचित सुविधा उपलब्ध होना चाहिए । मुर्गियों के शेड व बर्तनों की साफ सफाई नियमित रूप से करते रहें । चूज़े, दवाई, वैक्सीन, एवं ब्रायलर दाना आसानी से उपलब्ध हों । फार्म की लंबाई पूरब से पश्चिम की ओर होना चाहिए । एक शेड में केवल एक ही ब्रीड के चूजे रखने चाहिए.

ब्रायलर पोल्ट्री फार्म के लिए शेड का निर्माण: House Design for Broiler Poultry Farm -

शेड हमेशा पूर्व-पश्चिम दिशा में होना चाहिए और शेड के जाली वाला साइड उत्तर-दक्षिण में होना चाहिए । जिससे की हवा सही रूप से शेड के अन्दर से बह सके और धुप अन्दर ज्यादा ना लगे । शेड की चौड़ाई 30-35 फुट और लम्बाई ज़रुरत के अनुसार आप रख सकते हैं । ब्रायलर पोल्ट्री फार्म शेड का फर्श पक्का होना चाहिए । पोल्ट्री फार्म शेड की साइड की ऊँचाई फर्श से 8-10 फूट होना चाहिए और बीच (Center) की ऊँचाई फर्श से 14-15 फूट होना चाहिए । शेड के अन्दर मुर्गी दाना व पानी के बर्तन, पानी की टंकी और बिजली के बल्ब की उचित व्यवस्था होनी चाहिए । आप चाहे तो लबे शेड की बराबर भाग मे बाट (Partition) सकते हैं ।

ब्रायलर चूज़े के लिए दाना और पानी के बर्तनों की जानकारी -

प्रत्येक 100 चूज़ों के लिए कम से कम 3 पानी और 3 दाने के बर्तन होना बहुत ही आवश्यक है । दाने और पानी के बर्तन आप मैन्युअल या आटोमेटिक किसी भी प्रकार का इस्तेमाल कर सकते हैं । मैन्युअल बर्तन साफ़ करने में आसान होते हैं लेकिन पानी देने में थोडा कठिनाई होती है,पर आटोमेटिक वाले बर्तनों में पाइप सिस्टम होता है जिससे टंकी का पानी सीधे पानी के बर्तन में भर जाता है 

बुरादा या लिटर - Litter Management

लिटर (Litter) क्या होता हैं - ब्रायलर पोल्ट्री फार्म में जो फर्श पर बिछावन की जाती हैं उसे हम लिटर कहते हैं । बुरादा या लिटर के लिए आप लकड़ी का पाउडर, मूंगफली का छिल्का या धान का छिल्का का उपयोग कर सकते हैं । चूज़े आने से पहले लिटर की 3-4 इंच मोटी परत फर्श पर बिछाना आवश्यक है । लिटर पूरा नया होना चाहिए एवं उसमें किसी भी प्रकार का संक्रमण ना हो ।

ब्रायलर मुर्गी पालन में ब्रूडिंग - Brooding in Broiler Poultry Farm

5. ब्रूडिंग (Brooding) :
ब्रूडिंग क्या होता हैं? What is Brooding in Broiler Poultry Farm?

जिस प्रकार मुर्गी अपने चूजों को अपने पंखों के नीचे रखकर गर्मी देती हैं उसी प्रकार हम कृत्रिम रूप से चूजों को तापमान देते हैं उसे ब्रूडिंग कहते हैं । चूज़ों के सही प्रकार से विकास के लिए ब्रूडिंग सबसे ज्यादा आवश्यक है, ब्रायलर फार्म का पूरा व्यापार पूरी तरीके से ब्रूडिंग के ऊपर निर्भर करता है. अगर ब्रूडिंग में गलती हुई तो आपके चूज़े 7-8 दिन में कमज़ोर हो कर मर जायेंगे, या आपके सही दाना के इस्तेमाल करने पर भी उनका विकास सही तरीके से नहीं हो पायेगा।

ब्रूडिंग के प्रकार -

- बिजली के बल्ब से ब्रूडिंग
- गैस ब्रूडर से ब्रूडिंग
- अंगीठी या सिगड़ी से ब्रूडिंग

बिजली के बल्ब से ब्रूडिंग -

इस प्रकार के ब्रूडिंग के लिए आपको नियमित रूप से बिजली की आवश्यकता होती है । गर्मी के महीने में प्रति चूज़े को 1 वाट की आवश्यकता होती है जबकि सर्दियों के महीने में प्रति चूज़े को 2 वाट की आवश्यकता होती है । गर्मी के महीने में 4-5 दिन ब्रूडिंग किया जाता है और सर्दियों के महीने में ब्रूडिंग 12-15 दिन तक करना आवश्यक होता है । चूजों के पहले हफ्ते में ब्रूडर को लिटर से 6 इंच ऊपर रखें और दूसरे हफ्ते 10-12 इंच ऊपर.

गैस ब्रूडर से ब्रूडिंग -

जरूरत और क्षमता के अनुसार बाज़ार में गैस ब्रूडर उपलब्ध हैं, उदाहरण के लिए 1000 और 2000 क्षमता वाले ।गैस ब्रूडर ब्रूडिंग का सबसे अच्छा तरिका है इससे शेड केा अन्दर का तापमान एक समान रहता है.

अंगीठी या सिगड़ी से ब्रूडिंग-

ये खासकर उन क्षेत्रों के लिए होता हैं जहाँ बिजली उपलब्ध ना हो या बिजली की बहुत ज्यादा कटौती वाले जगहों पर इसमें ध्यान रखना बहुत ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि इससे शेड में धुआं भी भर सकता है या आग भी लग सकती है ।

ब्रायलर मुर्गी दाना की जानकारी: Feeding Information for Broiler Poultry Farm

ब्रायलर फार्मिंग में 3 प्रकार के दाना की आवश्यकता होती है, यह दाना ब्रायलर चूजों के उम्र और वज़न के अनुसार दिया जाता है.

- प्री स्टार्टर :0-10 दिन तक के चूजों के लिए
- स्टार्टर :11-20 दिन के ब्रायलर चूजों के लिए
- फिनिशर :21 दिन से मुर्गे के बिकने तक
मुर्गी पालन में सबसे ज्यादा खर्च उनके दाने पर होता है, दाने में प्रोटीन और इसकी गुणवत्ता का भी ध्यान रखना जरूरी है . मुर्गियों को उचित मात्रा में प्रोटीन ,मिनरल्स और विटामिन्स मिले इसके लिए मुर्गियों को नियमित रूप से अमीनो पॉवर (Amino Power) दें. इससे ना केवल मुर्गों का वजन तेजी से बढ़ेगा बल्कि उनमें रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ेगी और बीमारी का कम डर रहेगा.
इसके अलावा आप चूजों को मक्का, सूरजमुखी, तिल, मूंगफली, जौ और गेूंह आदि को भी दे सकते हो.

ब्रायलर मुर्गी के पीने का पानी की जानकारी -

ब्रायलर मुर्गा 1 किलो दाना खाने पर 2-3 लीटर पानी पीता है,गर्मियों में पानी का पीना दोगुना हो जाता है. जितने सप्ताह का चूजा उसमें 2 का गुणा करने पर जो मात्र आएगी, वह मात्र पानी की प्रति 100 चूजों पर खपत होगी, जैसे-
पहला सप्ताह = 1 X 2 = 2 लीटर पानी/100 चूजा
दूसरा सप्ताह = 2 X 2 = 4 लीटर पानी /100 चूजा

ब्रायलर मुर्गीपालन के लिए जगह की कैल्क्युलेशन: Space Calculation for Broiler Poultry Farm

- पहला सप्ताह – 1 वर्गफुट/3 चूज़े
- दूसरा सप्ताह – 1 वर्गफुट/2 चूज़े
- तीसरा सप्ताह से 1 किलो होने तक – 1 वर्गफुट/1 चूज़ा
- 1 से 1.5 किलोग्राम तक – 1.25 वर्गफुट/1 चूज़ा
- 1.5 किलोग्राम से बिकने तक 1.5 वर्गफुट/1 चूज़ा
सही प्रकार से चूजों को जगह मिलने पर चुज़ो को विकास अच्छा होता है और कई प्रकार की बिमारियों से भी उनका बचाव होता है.

ब्रायलर मुर्गी पालन के लिए लाइट या रोशनी का प्रबंध-

वैसे तो Broiler Poultry Farm में 24 घंटे लाइट देने की सिफारिश की जाती हैं, लेकिन चूजों को 23 घंटे ही लाइट देना चाहिए और 1 घंटा लाइट बंद रखना चाहिए. ताकि अंधेरे मे चूजे डरे नहीं और कभी अचानक बिजली कटौति होने पर अंधेरे के लिए तैयार रहे. पहले 2 सप्ताह तक रोशनी कम नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे चूजे तनाव मुक्त रहते हैं और दाना पानी भी अच्छे से खाते हैं.

मुर्गियों में होने वाली बीमारियां -

मुर्गियों मे कई तरह की बीमारियाँ पाई जाती हैं, जैसे-
- रानीखेत (Newcastle Disease)
- पुलोराम (Pullorum Disease)
- मेरेक्स (Marek’s Disease)
- हैजा (Fowl Cholera)
- टाइफॉइड (Fowl Typhoid)
- परजीविकृमि (Parasitic Disease) इत्यादि

टीकाकरण -

मुर्गियों मे बीमारी से हर साल मुर्गीपालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता हैं, बीमारियों से बचाव के लिए समय समय पर टीकाकरण करना बहुत जरूरी हैं.
कुछ टीकाकरण जो हैच के पहले दिन से से 28वे दिन तक लगाए जाते हैं-

उम्रटीका
पहला दिनमेरेक्स (Marek’s)
5 वे -7 वे दिनआर.डी.वी.-एफ 1 (RDV F1)
14 वे दिनआई.डी.बी का टीका ( IBD Vaccine)
21 वे दिनआर.डी.वी. ला सोटा ( RDV La Sota)
28 वे दिनआई.डी.बी बूस्टर ( IBD booster dose)

नर व मादा मुर्गियों का पृथक्करण -

नर व मादा ब्रॉयलर मुर्गियों की वृद्धि दर अलग अलग होती हैं, नर मुर्गीय मादा के मुकाबले अधिक तेजी से विकसित होती हैं. उन्हे मादा के मुकाबले अधिक फर्श पर जगह व दाना पानी भी अधिक लगता हैं. नर ब्रॉयलर मुर्गियों को अधिक प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट की जरूरत होती हैं,इसलिए नर व मादा मुर्गियों को पहले दिन से ही अलग अलग पालना चाहिए. उन्हे उनकी दैनिक आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग आहार भी दिए जाने चाहिए.

गर्मी में ब्रायलर मुर्गीपालन-

गर्मियों के समय में ब्रायलर मुर्गीपालन करने वाले लोगों को चाहिए कि वे मुर्गियों को तेज तापमान और अधिक गर्मी से बचाय जाए. मौसम में बदलाव की वजह से मुर्गियों की मौत तक हो सकती है, इस वह से मुर्गी पालन करने वालों को अधिक हानि हो सकती है । इसलिए मुर्गियों की छत का गर्मी से बचाने के लिए छत पर घास व पुआल आदि को डाल सकते हैं, या छत पर सफेदी करवा सकते हैं. सफेद रंग की सफेदी से छत ठंडी रहती है, साथ ही आप मुर्गियों के डेरे पर पंखा आदि को भी लगा सकते हैं। गर्मियों में चूजों के लिए पानी के बर्तनों की संख्या को बढ़ा दें, क्योंकि गर्मियों में पानी न मिलने से हीट स्ट्रोक लगने से मुर्गियों की मौत हो जाती है। जब तेज गर्मी होती है तब शेड की खिड़कियों पर टाट को गीला करके लटका दें, लेकिन इस बात का ध्यान जरूर रखें कि टाट खिड़कियों से न चिपके ।

पोल्ट्री फार्म शेड खर्च -

1000 ब्रायलर मुर्गियों के पोल्ट्री फार्म शेड निर्माण का खर्च निम्न हैं-

पूंजी लागतमात्रा / दरराशि (रुपयों में )
भूमि विकास (Land Development)0.5 एकड़₹ 10,000
फेंसिंग0.5 एकड़₹ 10,000
ब्रूडर के साथ पूरे हाउस (घर) का निर्माण
1000 मुर्गियों के लिए @1 वर्ग फ़ीट/मुर्गी
@₹ 250/वर्ग फ़ीट₹2,50,000
पनडुब्बी पंप के साथ ट्यूबवेल₹ 90,000
शेड तक की पाइप लाइन₹ 25,000
ओवरहेड टैंक₹ 20,000
1000 मुर्गियों के लिए उपकरण₹ 20/मुर्गी₹ 20,000
बिजली (Electricity) और इलेक्ट्रिक उपकरण₹ 25,000
फ़ीड स्टोर (चारा भंडारण कक्ष)100 वर्ग फ़ीट
@ ₹ 300/वर्ग फ़ीट
₹ 30,000
कुल पूंजी लागत₹4,80,000
कार्यशील पूंजीमात्रा / दरराशि (रुपयों में )
चूजों की कीमत (5150 चूजे)₹35/चूज़ा₹36,750
कंसन्ट्रेट फीड
3.2 किलो/मुर्गी
₹28/किलो₹89,600
दैनिक मजदूरी 45 दिनों के लिए200/दिन₹ 9,000
अन्य खर्च जैसे पशुचिकित्सा₹ 20,750
कुल कार्यशील लागत₹1,56,100

1000 मुर्गियों के लिए पूंजी लागत और कार्यशील लागत मिलाकर 6,36,100 रुपये का अनुमानित खर्च आएगा.

ब्रायलर मुर्गीपालन में ध्यान देने योग्य ज़रूरी बातें -

ब्रायलर के चूजे की खरीददारी में ध्यान दें कि जो चूजे आप खरीद रहे हैं उनका वजन 6 सप्ताह में 3 किलो दाना खाने के बाद कम से कम 1.5 किलो हो जाये तथा मृत्यु दर 3 प्रतिशत से अधिक नहीं हो। अच्छे चूजे की खरीद के लिए राँची पशुचिकित्सा महाविद्यालय के कुक्कुट विशेषज्ञ या राज्य के संयुक्त निदेशक, कुक्कुट से सम्पर्क कर लें। उनसे आपको इस बात की जानकारी मिल जायेगी कि किस हैचरी का चूजा खरीदना अच्छा होगा। चूजा के आते ही उसे बक्सा समेत कमरे के अंदर ले जायें, जहाँ ब्रूडर रखा हो। फिर बक्से का ढक्कन खल दें। अब एक-एक करके सारे चूजों को इलेक्ट्रल पाउडर या ग्लूकोज मिला पानी पिलाकर ब्रूडर के नीचे छोड़ते जायें। बक्से में अगर बीमार चूजा हो तो उसे हटा दें। चूजों के जीवन के लिए पहला तथा दूसरा सप्ताह संकटमय होता है। इसलिए इन दिनों में अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। अच्छी देखभाल से मृत्यु संख्या कम की जा सकती है। पहले सप्ताह में ब्रूडर में तापमान 90 एफ होना चाहिए। प्रत्येक सप्ताह 5 एफ कम करते जायें तथा 70 एफ से नीचे ले जाना चाहिए। यदि चूजे ब्रूडर के नीचे बल्ब के नजदीक एक साथ जमा हो जायें तो समझना चाहिए कि ब्रूडर में तापमान कम है। तापमान बढ़ाने के लिए अतिरिक्त बल्ब का इंतजाम करें या जो बल्ब ब्रूडर में लगा है, उसको थोड़ा नीचे करके देखें। यदि चूजे बल्ब से काफी दूर किनारे में जाकर जमा हों तो समझना चाहिए कि ब्रूडर में तापमान ज्यादा है। ऐसी स्थिति में तापमान कम करें। इसके लिए बल्ब को ऊपर खींचे या बल्ब की संख्या या पावर को कम करें। उपयुक्त गर्मी मिलने पर चूजे ब्रूडर के चारों तरफ फ़ैल जायेंगे। वास्तव में चूजों के चाल-चलन पर नजर रखें, समझकर तापमान नियंत्रित करें।


- पहले दिन जो पानी पीने के लिए चूजों को दें, उसमें इलेक्ट्रल पाउडर या ग्लूकोज मिलायें। इसके अलावा 5 मिली. विटामिन ए., डी. 3 एवं बी. 12 तथा 20 मिली. बी. काम्प्लेक्स प्रति 100 चूजों के हिसाब से दें।
- इलेक्ट्रल पाउडर या ग्लूकोज दूसरे दिन से बंद कर दें। बाकी दवा सात दिनों तक दें। वैसे बी-कम्प्लेक्स या कैल्शियम युक्त दवा 10 मिली. प्रति 100 मुर्गियों के हिसाब से हमेशा डे सकते है। जब चूजे पानी पी लें तो उसके 5-6 घंटे बाद अख़बार पर मकई का दर्रा छीट दें, चूजे इसे खाना शुरू कर देंगे। इस दर्रे को 12 घंटे तक खाने के लिए देना चाहिए।
- तीसरे दिन से फीडर में प्री-स्टार्टर दाना दें। दाना फीडर में देने के साथ-साथ अखबार पर भी छीटें। प्री-स्टार्टर दाना 7 दिनों तक दें।
- चौथे या पांचवें दिन से दाना केवल फीडर में ही दें। अखबार पर न छीटें।
- आठवें रोज से 28 दिन तक ब्रायलर को स्टार्टर दाना दें। 29 से 42 दिन या बेचने तक फिनिशर दाना खिलायें।
- दूसरे दिन से पाँच दिनों के लिए कोई एन्टी बायोटिक्स दवा पशुचिकित्सक से पूछकर आधा ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर दें, ताकि चूजों को बीमारियों से बचाया जा सकें।
- शुरू के दिनों में बिछाली (लीटर) को रोजाना साफ करें। बिछाली रख दें। पानी बर्तन रखने की जगह हमेशा बदलते रहें।
- पांचवें या छठे दिन चूजे को रानीखेत का टीका एफ-आँख तथा नाक में एक-एक बूंद दें।
- 14वें या 15वें दिन गम्बोरी का टीका आई.वी.डी. आँख तथा नाक में एक-एक बूंद दें।
- मरे हुए चूजे को कमरे से तुरंत बाहर निकाल दें। नजदीक के अस्पताल या पशुचिकित्सा महाविद्यालय या अपने पशुचिकित्सक से पोस्टमार्टम करा लें। पोस्टमार्टम कराने से यह मालूम हो जायेगा कि चूजे की मौत किस बीमारी या कारण से हुई है।
- मुर्गी घर के दरवाजे पर एक बर्तन या नलाद में फिनाइल का पानी रखें। मुर्गी घर में जाते या आते समय पैर धो लें। यह पानी रोज बदल दें।

ब्रायलर मुर्गी पालन से संबंधित प्रश्न-उत्तर -

1. मुर्गी पालन के लिए लोन कैसे मिलेगा ?

मुर्गी पालन के कुछ भारतीय बैंक लोन उपलब्ध कराती हैं इसके लिए आप नजदीकी बैंक शाखा में जाकर पूछताछ करे.

2. ब्रायलर मुर्गी पालन में शेड निर्माण का खर्च कितना आता हैं?

1000 ब्रायलर पोल्ट्री फार्म के लिए शेड निर्माण का खर्च लगभग ₹4,80,000 आता हैं.
नाम

Agri Calender,14,Agri schemes and govt order,30,Agricultural machinery,5,Agriculture,6,Animal Husbandry,20,April,1,August,1,Bihar,3,Bio fertlizers,5,Career,4,Cereal crops,7,Contact,4,Cow farming,2,Crops,8,Crops and vegetables,18,December,1,Disease control,4,February,1,Fisheries,13,Gardening,8,Goat farming,2,Govt. schemes,1,Herbal farming,2,Himachal pradesh,3,Horticulture,7,Horticulture and kitchen gardening,6,Irrigation and water management,1,January,1,July,1,June,1,kharif crops,7,Kheti kisani,2,Kheti Kisani News,1,Legume crops,3,Madhya pradesh,15,Manures and fertilizers,14,March,1,May,1,Medicinal farming,4,Mix farming,22,November,1,Nutrient management,12,October,1,Oils crops,1,Organic farming,23,Pest control,14,Piggery,5,Plant protection,4,Poultry farming,4,Rabi crops,4,Seed management,1,September,1,Sericulture,1,Soil management,7,Spices farming,1,Vegetable,1,Vegetables,9,Veterinary medicine,1,Weed control,3,
ltr
item
खेती किसानी समाचार ◊ Latest Kheti Kisani News in Hindi । Agriculture News in Hindi: ब्रायलर पोल्ट्री फार्म बिजनेस गाइड | How to Start Broiler Poultry Farm Business
ब्रायलर पोल्ट्री फार्म बिजनेस गाइड | How to Start Broiler Poultry Farm Business
ब्रायलर पोल्ट्री फार्म बिजनेस गाइड | How to Start Broiler Poultry Farm Business, ब्रायलर पोल्ट्री फार्म क्या हैं? What is Broiler Poultry Farm
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiaABJ4reNKm53H7ynpSk5rAHeHZfhcDvEVK2VkMCrmVgZHwzgkNJ0gQRzIwo9hFjouVW7kd-GZZaNJD2Mp8C770_9r9-uL9ky5Bf5EYVGX4W1J7oQ5-HDXv8MN8VvU3ESKeTsbm-6SpHY38j2tWJaYAAC62mA8qVh5SJyh2tLf5rIW65TYoTYPIBjQJyfW/w400-h225/poultry-broiler-farm-business.webp
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiaABJ4reNKm53H7ynpSk5rAHeHZfhcDvEVK2VkMCrmVgZHwzgkNJ0gQRzIwo9hFjouVW7kd-GZZaNJD2Mp8C770_9r9-uL9ky5Bf5EYVGX4W1J7oQ5-HDXv8MN8VvU3ESKeTsbm-6SpHY38j2tWJaYAAC62mA8qVh5SJyh2tLf5rIW65TYoTYPIBjQJyfW/s72-w400-c-h225/poultry-broiler-farm-business.webp
खेती किसानी समाचार ◊ Latest Kheti Kisani News in Hindi । Agriculture News in Hindi
https://www.khetikisani.org/2024/01/broiler-poultry-farm-bussiness-guide-in-hindi.html
https://www.khetikisani.org/
https://www.khetikisani.org/
https://www.khetikisani.org/2024/01/broiler-poultry-farm-bussiness-guide-in-hindi.html
true
4442013960455997354
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content