प्राकृतिक खेती - परिभाषा, प्राकृतिक कृषि के फ़ायदे और सरकारी योजनायें, Zero budget Natural Farming Definition, Benefits and full information in hindi
प्राकृतिक कृषि के ये चार सिद्धांत (हल नहीं, जुताई-निंदाई नहीं, कोई रासायनिक उर्वरक या तैयार की हुई खाद नहीं, हल द्वारा या शाकनाशियों द्वारा कोई निंदाई, गुड़ाई नहीं तथा रसायनों पर कोई निर्भरता नहीं।) प्रकृति के आदेशों का पालन करते हैं। तथा प्रकृति के संपदाओं को पूरा करने की राह बतलाते हैं। जीरो बजट प्राकृतिक खेती देसी गाय के गोबर एवं गौमूत्र पर आधारित है। एक देसी गाय के गोबर एवं गौमूत्र से एक किसान तीस एकड़ जमीन पर जीरो बजट खेती कर सकता है। देसी प्रजाति के गौवंश के गोबर एवं मूत्र से जीवामृत, घनजीवामृत तथा जामन बीजामृत बनाया जाता है। इनका खेत में उपयोग करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि के साथ-साथ जैविक गतिविधियों का विस्तार होता है। जीवामृत का महीने में एक अथवा दो बार खेत में छिड़काव किया जा सकता है।जबकि बीजामृत का इस्तेमाल बीजों को उपचारित करने में किया जाता है। इस विधि से खेती करने वाले किसान को बाजार से किसी प्रकार की खाद और कीटनाशक रसायन खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है। फसलों की सिंचाई के लिये पानी एवं बिजली भी मौजूदा खेती-बाड़ी की तुलना में दस प्रतिशत ही खर्च होती है ।
Zero budget Natural Farming Definition, Benefits and full information in hindi
प्राकृतिक खेती क्या है - what is natural farming
नेचुरल फ़ार्मिंग तकनीक बायोमास रीसाइक्लिंग पर आधारित तकनीक है जिसमें जानवरों के गोबर से खाद और उनके यूरिन से कीटनाशक बनाकर मिट्टी का इलाज किया जाता है. इसमें केमिकल और पेस्टिसाइट नहीं यूज किए जाते । प्राकृतिक खेती को रासायनमुक्त खेती के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें केवल प्राकृतिक आदानों का उपयोग करता है। कृषि-पारिस्थितिकी में अच्छी तरह से आधारित, यह एक विविध कृषि प्रणाली है जो फसलों, पेड़ों और पशुधन को एकीकृत करती है, जिससे कार्यात्मक जैव विविधता के इष्टतम उपयोग की सुविधा मिलती है। प्राकृतिक खेती प्राकृतिक या पारिस्थितिक प्रक्रियाओं, जो खेतों में या उसके आसपास मौजूद होती हैं,पर आधारित होती है।नेचुरल फार्मिंग के फायदे - benefits of natural farming
- प्राकृतिक खेती से मिट्टी की सेहत में सुधार आता है । - इससे पानी की बचत होती है । - कृषि-आदानों की लागत में कमी आती है । - जैव-विधिवता में सुधार आता है - प्राकृति खेती अपनाने से किसानों का लोन का बोझ कम होता है । - इससे किसानों की आजीविका में सुधार होता है ।कहाँ होती है प्राकृतिक खेती - where is natural farming
प्राकृतिक खेती के भारत में कई स्वदेशी रूप हैं, इनमें से लोकप्रिय सबसे आंधप्रदेश में की जाती है। यह प्रथा, अन्य रूपों में, अन्य राज्यों, विशेष रूप से दक्षिण भारत के राज्यों में भी अपनाई गई है। इसे भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) के रूप में केन्द्र प्रायोजित योजना परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के अंतर्गत बढ़ावा दिया जाता है। बीपीकेपी का उद्देश्य पारंपरिक स्वदेशी प्रथाओं को बढ़ावा देना है – जो बड़े पैमाने पर ऑन-फार्म बायोमास रीसाइक्लिंग पर आधारित हैं, जिसमें मल्चिंग और गाय के गोबर के उपयोग और मूत्र के मिश्रण तैयार करने पर जोर दिया गया है। इसमें किसी भी सिंथेटिक रासायनिक आदानों का उपयोग नहीं किया जाता है। वर्तमान में, बीपीकेपी को आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु सहित देश के आठ राज्यों द्वारा अपनाया जाता है।प्राकृतिक कृषि के विकास हेतु भारत सरकार की योजनाएँ -
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, प्राकृतिक खेती को पुनर्योजी खेती – जो अपनी धरती को बचाने के लिए एक प्रमुख कार्यनीति है, का एक रूप माना जाता है। इसमें भूमि परिपाटियों तथा मृदा और पौधों में वातावरण से कार्बन, जहां यह हानिकारक होने के बजाय वास्तव में उपयोगी है, को अलग करने का प्रबंधन करने की क्षमता है। भारत सरकार नेचुरल फार्मिंग के लिए एक नेशनल मिशन लॉन्च करने जा रही है जिसके तहत किसानों को नेचुरल फार्मिंग करने पर कई तरह की मदद उपलब्ध कराई जा सकती है ।किसानों को दिए जाने वाले ऐसे इंसेंटिव में रुपए-पैसे की मदद से लेकर नेचुरल फार्मिंग के लिए जरूरी चीजें उपलब्ध कराने तक बहुत कुछ शामिल है केंद्र सरकार किसानों को नेचुरल फार्मिंग की मदद से उपजाए जाने वाले फसल के लिए मार्केटिंग सपोर्ट भी उपलब्ध कराने जा रही है ।
भारत ससरकार के वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में फरवरी में कहा था कि सरकार नेचुरल फार्मिंग पर ध्यान देकर किसानों की आमदनी बढ़ाने की कोशिश कर रही है । निर्मला सीतारमन ने कहा था कि केमिकल फ्री फ़ार्मिंग को देश भर में सरकार बढ़ावा देने की योजना बना रही है । इसमें गंगा नदी के आसपास 5 किलोमीटर के दायरे में मौजूद किसानों के साथ इसकी शुरुआत की जाएगी ।नेचुरल फार्मिंग के जरिए सरकार किसानों के लिए विदेशी बाजार खोलना चाहती है ।
नेचुरल तरीके से की गई खेती से मिलने वाले कृषि उपज के लिए विदेश में एक बड़ा बाजार है जिसका फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है । केंद्र सरकार कृषि उपज के लिए किसानों को मार्केटिंग में भी मदद करने की योजना बना रही है ।भारत सरकार नेचुरल फार्मिंग करने वाले किसानों को उनकी जमीन के लिए एक सर्टिफिकेट उपलब्ध कराने की तैयारी कर रही है जिसके जरिए वह अपने कृषि उपज का निर्यात कर सकेंगे और अपनी कमाई बढ़ा सकेंगे. सरकार नेचुरल फार्मिंग करने वाले किसानों को वित्तीय मदद उपलब्ध कराने जा रही है ।नेचुरल फार्मिंग करने वाले किसानों को गौशाला से जोड़ा जाएगा जिससे वे अपने खेत में उपज बढ़ाने के लिए गोबर ले सकें ।
नीति आयोग और कृषि मंत्रालय के बीच इस बारे में कई बार बातचीत हो चुकी है जिसमें नेचुरल फार्मिंग से उगाए जाने वाले कृषि उपज के निर्यात की संभावनाएं तलाशना शामिल है ।केंद्र सरकार नेचुरल फार्मिंग के लिए नेशनल मिशन लॉन्च करने की तैयारी में है. इसके लिए नेचुरल फार्मिंग तकनीक के एडोप्शन के लिए रोडमैप तैयार किया जा रहा है ।